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श्रम संहिता, निजीकरण और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ श्रमिकों ने किया प्रदर्शन
By Lokjeewan Daily - 09-07-2025

भीलवाड़ा लोकजीवन। केंद्रीय श्रमिक संगठनों की समन्वय समिति ने केंद्र सरकार द्वारा अपनाई गई आर्थिक, सामाजिक और विशेष रूप से श्रम संबंधी नीतियों के विरोध में बुधवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।  भीलवाड़ा में विभिन्न श्रमिक संगठनों जैसे इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस , राज. सीटू और एआईसीसीटीयू के तमाम पदाधिकारियों और संबद्ध श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर जिला प्रशासन को ज्ञापन दिया। ज्ञापन में  केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह पूंजीपतियों और कॉर्पोरेट परस्त नीतियों को बढ़ावा दे रही है, जिससे देश के श्रमिकों के अधिकार छीने जा रहे हैं। केंद्रीय श्रमिक संगठन इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं कि सरकार श्रम संहिताओं को लागू कर, काम के घंटे बढ़ाकर और ट्रेड यूनियन अधिकारों पर अंकुश लगाने के लिए आक्रामक तरीके से दबाव बना रही है। सरकार द्वारा कॉर्पोरेट घरानों को समर्थन दिया जा रहा है और संवैधानिक न्यूनतम वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा लाभों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन किया जा रहा है। ज्ञापन में  श्रम कानूनों का संरक्षण: स्वतंत्रता से पूर्व बनाए गए विभिन्न श्रम अधिनियम कानूनों को बरकरार रखा जाए और 300 कामगार वाले कारखानों को बिना बताए मालिक द्वारा बंद करने के ऐसे कानूनों को निरस्त किया जाए। न्यूनतम मजदूरी 26,000 रुपये प्रति माह तय की जाए।
महंगाई भत्ता संशोधन, 5 वर्ष में मूल्य सूचकांक वृद्धि के अनुसार नियमित संशोधन किया जाए। सातवें वेतन आयोग की अवशिष्ट सिफारिशें शीघ्र जारी की जाएं।औद्योगिक इकाई में कार्यरत श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन लाभ मिले।  समाप्त किए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लाने पर विराम लगाया जाए। सी-2 प्लस 50 के आधार पर वैधानिक एमएसपी और सुनिश्चित खरीद पर प्रतिबद्धता को लागू किया जाए। रेलवे, बैंक, बीमा, बंदरगाह, गोदी आदि का निजीकरण रोका जाए। स्वास्थ्य, बिजली, शिक्षा सेवाओं को सरकारी क्षेत्र में ही बनाए रखा जाए। ठेका प्रथा बंद की जाए। 8 घंटे से अधिक ड्यूटी न कराई जाए। न्यूनतम पेंशन 10,000 रुपये की जाए। आंगनवाड़ी, आशा, मिड डे मील तथा आशा किरण आदि स्कीम वर्कर को श्रमिक का दर्जा प्रदान किया जाए। मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी 600 रुपये प्रति दिन के साथ वर्ष में 200 दिन रोजगार की गारंटी हो।ज्ञापन में केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने केंद्र सरकार से इन मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार कर सकारात्मक निर्णय लेने का आह्वान किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने श्रमिकों की मांगों के प्रति संवेदनशीलता नहीं दिखाई, तो देश का मजदूर कर्मचारी समुदाय उप आंदोलन करने को मजबूर होगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी। इस मौके पर  इंटक जिलाध्यक्ष दीपक व्यास , सीटू के ओमप्रकाश देवासी, आरएमआरयू बीएलसी के रामेश्वर एवं इंटक महामंत्री कानसिंह चुडांवत सहित कई पदाधिकारी व श्रमिक मौजूद थे। 

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