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हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में पानी पीने के समय को बहुत महत्व दिया गया है। चाणाक्य नीति भी कहती है- 'अजीर्णे भेषजं वारि, जीर्णे वारि बलप्रदम्। भोजने चाऽमृतम् वारि, भोजनान्ते विषप्रदम्' यानि अपच के समय पानी दवा की तरह काम करता है। जब खाना अच्छे से पच चुका होता है, तब पानी ताकत देता है। खाना खाते समय थोड़ा-थोड़ा पानी पीना अमृत समान माना गया है, क्योंकि यह खाना निगलने और पचाने में मदद करता है। लेकिन खाना खाने के बाद तुरंत पानी पीना, जहर से कम नहीं।
आयुर्वेदिक गुणीजनों और ग्रंथों के अनुसार, जब हम खाना खाते हैं, तो वह पेट के अंदर एक खास जगह पर जाता है, जिसे 'जठर' यानी "आमाशय" कहा जाता है। यह हमारे शरीर के बीच में, नाभि के पास बाईं ओर होता है। आमाशय में एक हल्की-सी अग्नि होती है, जिसे हम पाचन की अग्नि कह सकते हैं। यही अग्नि खाना पचाने में मदद करती है। जब हमें भूख लगती है, तो असल में यही अग्नि हमें इशारा करती है कि शरीर को अब ऊर्जा की जरूरत है। जैसे गाड़ी में पेट्रोल खत्म होने पर रिजर्व में आ जाती है, वैसे ही शरीर भी भूख के जरिए बताता है कि अब उसे खाना चाहिए।
आपने महसूस किया होगा कि जब बहुत अच्छी भूख लगी हो, तो कोई भी खाना हमें स्वादिष्ट लगता है और आसानी से पच भी जाता है। आमाशय में अग्नि करीब एक घंटे तक खाना पचाने का काम करती है। अगर इस एक घंटे के अंदर हम फिर से कुछ और खा लें या बहुत सारा ठंडा पानी पी लें, तो यह अग्नि बुझ जाती है। जैसे जलती आग पर अचानक पानी डाल दिया जाए, वैसे ही पेट की अग्नि भी ठंडी हो जाती है। इसका असर यह होता है कि खाना ठीक से नहीं पचता और कई तरह की बीमारियां शरीर को जकड़ने लगती हैं, इसलिए खाना खाने के एक घंटे तक कुछ भी न खाएं और न ही पानी पिएं। इससे जठराग्नि यानी आमाशय में अग्नि आराम से अपना काम कर पाती है और खाना अच्छे से पचकर शरीर को ताकत देता है।
अपच की स्थिति में खाना लंबे समय तक पेट में ऐसे ही पड़ा रहता है और सड़ने लगता है। इससे गैस बनने लगती है और वह डकार या अन्य तरीके से निकलती है। साथ ही पेट भारी सा महसूस होता है। इसलिए खाने के बाद तुरंत पानी पीना जहर के समान होता है। ऋषि-मुनियों ने यह बात बहुत पहले ही कह दी थी और इसे वैज्ञानिक भी मानते हैं।
अगर इसे वैज्ञानिक नजरिए से समझें, तो जब हम खाना खा लेते हैं, तब पेट में पाचन के लिए एसिड और एंजाइम्स बनते हैं। अगर हम तुरंत बाद में पानी पी लेते हैं, खासकर ज्यादा मात्रा में, तो यह पाचन रसों को पतला कर देता है। इससे खाना अच्छे से नहीं पचता और अपच, गैस, एसिडिटी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
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